Sunday 24 December 2017

थोड़ा सा एहसास, थोड़े सी की बात!



थोड़ा और ज़मीन पे रह जाते तो,
आसमान छू लेते ,
थोड़ा और बर्दाश्त कर लेते तो,
तुम्हे जीत लेते I 

थोड़ी कोशिश और होती तो,
मंज़िलें बदल जातीं,
थोड़े में गिनते, थोड़े में रहते,
थोड़े खुश होते,थोड़े बहक जाते I

थोड़ी सी काम पिते तो,
आज वक़्त ना गिनते,
थोड़ी सी प्यार जताते तो,
आज यादों में होते I

थोड़ी सी काम या थोड़ा हो ज़यादा,
बस एही हिसाब रह गया,
थोड़ी सी कमी ज़िन्दगी में रह गयी,
थोड़ी सी जुदा,जुदा यूँ बह गए I

 थोड़ी सी बाक़ी, बाक़ी ये ज़िन्दगी,
थोड़ी सी काम,थोड़ी ज़यादा ज़िन्दगी,
थोड़ी ये बहकी,थोड़ी ये हलकी,
थोड़ी सी रुकी,थोड़ी थोड़ी महकी...

रचना :प्रशांत 

1 comment:

  1. "थोड़ी सी कमी ज़िन्दगी में रह गयी,
    थोड़ी सी जुदा,जुदा यूँ बह गए"
    बहुत सुन्दर

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