Sunday 7 February 2016

दिल की दास्तान दिले अंजान क्यू बने

दिल की दास्तान दिले अंजान क्यू बने, 
जो ना दे पनाह, वफ़ा उनसे क्यू बने, 
क्यू ना कदम कही और, मूड ना जाए,
क्यू ना ये इश्क़ नाकाम , मर ना जाए I 

जज़्बात क़ैद कोठे मे लगे , दिल बहलता रहे, 
दिल  क़ो जो लगे रिश्ता , वो मंज़र दिख ना पाए,  
बने महबूब की तवायफ़, नसीब इतना ना होए, 
घुँगरू छमछम इशारों की मोल, दूर और जाए I 

रचना : प्रशांत  

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