Sunday 15 January 2017

यूँ मुँह ना मोड़ किसी से

यूँ मुँह ना मोड़ किसी से,
कुछ एहसास आज ये हैं,
सब जायज़ हर रिश्ते मे है,
जिनसे था शिकवा गिला,
कुछ ग़लत हम थे भला,
ज़िंदगी का यह फलसफा, यह सिलसिला,
कुछ धोके से मिला, कुछ प्यार से मिला,
वो चले अपने राहो मे यारो,
हर ठोकर से निखरे हम यारो,
दोष हज़ार हमसे हुई यारो,
कुछ साथ दे चले, दूरियाँ हमसे हुई यारो ,
एहसास ये आज सताए, क्यू ना निभाए ,
आजभी जिंदगी आपसे, आज ये कैसे बताए I

रचना: प्रशांत       

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