Thursday 27 August 2015

इश्क़ यू भरे बाज़ार मे ना उछालो...


चित्र साभार :http://allfaithcenter.org

इश्क़ यू भरे बाज़ार मे ना उछालो,
इंसानियत के कभी रिश्ता भी निभा लो,
बंद कमरे के अल्फाज़ को ज़ुबान ना दो
ख़ामोशी की तस्वीर है,इसे शीशे में मेहफ़ूज़ रहने दो  I

कोई आपसे भले ही रूठा हो,
कोई आपका भले हीं झूठा हो,
मौत के आगोश में हर एहसास डुबोते चलो,
अपने होने की परछाई मिटाते चलो ,

के इश्क़ सिर्फ ज़िदगी का नाम नहीं,
मौत में भी इश्क़ का रक़्स मिलते चलो I


रचना: प्रशांत 

2 comments:

  1. कोई आपसे भले ही रूठा हो,
    कोई आपका भले हीं झूठा हो,
    मौत के आगोश में हर एहसास डुबोते चलो,
    अपने होने की परछाई मिटाते चलो ,

    के इश्क़ सिर्फ ज़िदगी का नाम नहीं,
    मौत में भी इश्क़ का रक़्स मिलते चलो I
    बहुत बढ़िया !!

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  2. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाढ योगी सारस्वत जी !

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