Monday 7 November 2016

पासेंजेर वेटिंग लिस्ट १०



निकले या रुक जाए, 
कुछ ऐसा मन मे लिए, 
निकल पड़े स्टेशन की ओर, 
पुराना था रिश्ते  गहरे, 
कहीं मिल जाए पुराने चेहरे I

रेलवे की कहानी बड़ी मस्तानी, 
कभी दाम पूरा ले, पर नाम ना दे, 
पल पल आवाज़ दे, और छोड़ दे, 
तेरी मंज़िल के तरह वो निकले, 
तुझे ले, यह तुझे छोड़ चले I 

कुछ एक कहानी आज हुआ,
नाम बदला वेट लिस्ट 10 हुआ, 
समय हुआ और वोही रुक गया,
निकल पड़े इस अजनबी नाम से,
बहुत थे साथी, अजनबी हम हुए,
हँसते रहे, दीवाली बधाई देते रहे,
कोई हमदर्द साथ दे और ले ,
कहानी के मोड़ कुछ तो बदले, 
उमीद, ना उमीद के थे मेले,
चल पडे अब घर को निकले I

रचना : प्रशांत  

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