Monday 7 November 2016

एक बार और सही...





एक बार और सही, 
यह सफ़र मुझे कहीं ले जाए,  
मेरा  शहर  मुझसे दूर हो जाए,
आजनाबी ठिकाने दिल अपनाए,
पल हसीन साथ ले आए, दे जाए I

ए खुदा बस इतनी दुआ हो,
तेरी तलाश यह ज़िंदगी हो,
कीमत मे, नसीब को हासिल ये आए,  
पुराने ठिकाने आए और साथ दे जाए I

रचना: प्रशांत 

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