Tuesday 17 March 2015

ऐ जिंदगी तुझे मैं...

 
 
 
चित्र साभार : http://pixabay.com/en/beauty-woman-flowered-hat-cap-355157/
 
 
ऐ जिंदगी तुझे मैं, 
क्या और किस नाम लेकर पुकारूँ,
कभी तुझे मैं कोसूं ,
कभी तुझसे रूठ भी जाऊं,

तेरे करीब आ के तुझको न पाया,
जब खुद से तुझको दूर पाया,
तेरी परछाईं को खुद के और करीब पाया I  

कितने रूप हैं तेरे,
तेरा तिलिस्म ले अंगड़ाई साँझ सवेरे,
तेरे चक्कर का मैं फक्कड़ ,
तुझे जी गया कई बार ,
मर मर कर I 

रचना : प्रशांत 

2 comments:

  1. कितने रूप हैं तेरे,
    तेरा तिलिस्म ले अंगड़ाई साँझ सवेरे,
    तेरे चक्कर का मैं फक्कड़ ,
    तुझे जी गया कई बार ,
    मर मर कर I
    प्रभावी अभिव्यक्ति प्रशांत जी

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  2. धन्यवाद योगी सारस्वत जी !

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