Thursday 9 June 2016

आईने से मुलाक़ात !

चित्र साभार :http://spiritualcleansing.org/wp-content/uploads/2015/12/Its-not-denial.-Im-just-selective-about-the-reality-I-accept..jpg

इतेफ़ाक़ से आईने के सामने खुदको जो पाया...
घबराया, क्या ये शीशे को भी नज़र लग गया.. 
सामने मेरे वो खड़ा, मुझे यू पेश किया .....
ना नज़र जवां  था, ना जवां था साया I 

दोष इन नज़रों को हम ना दे पाए,
आज भी ये हसीन तोहफे न कबूल करे ...
कहीं कहीं रुक जाए, पर थम ना जाए
आपने सपने को जकड़े, हक़ीक़त बताए
अब हम क्या करे,
नज़र छोड़, बाकी उम्र के आड़े चले.. 
तो नज़र बिचारा क्या करे I 

अच्छा हुआ, ना शीशा  देख पाए 
ना ज़ुबानसे कुच्छ कह पाए...
तेरी नज़रोंसे तेरे परच्छाई तुझे दिख जाए ....
ज़ुबान बहके , ना माने, 
तू कुछ और बयान कर जाए I

रचना: प्रशांत 

Friday 3 June 2016

छाछ से बुझती प्यास!

       Pic Courtesy:https://eatlivemerry.files.wordpress.com/2012/07/firstshot_4059.jpg
                                                  (इन बियर की बोतलों में छाछ भरा है !)



कसम बिहार की, केरल कहो या गुजरात की, 
पीनेवालों की डोली, महफ़िलसे उतरे खाली,
यादों से भर भर लेते हैं , तमन्ना मदहोशी की, 
नशेमन हम पिते हैं, छाछ दो बोतोल की I

मिसाल सुनाए, परमेश्वरको मनाए, समझाए,
एक बिचारी बीवी क्या क्या झेल ना जाए, 
हमे दे दुआ, कहे देखो बदल गये उस्ताद,
छाछ परखो, बात परखो, उस्ताद से सीखो I 

एक परिचित, बीवी से हारा, शराबी बेचारा,
पहुँचा आशियाने, मेरे ठिकाने, मुझे पहचाने,
और कहा उस्ताद,
दूध और छाछ की कहानी, आप की बानी, समझ ना आनी,
बच्चों  का ये हक़ , दूध या छास, ना करे परिहास
कैसे उनके मुह से छिने, डिमांड बढ़ाए, कीमत बढ़ाए 
यह सुन उस्ताद घबराए, जवाब का नशा फिर चढ़ जाए,
एक और छास मारे, पर जवाब ना आए I

रचना : प्रशांत