Thursday 24 March 2016

होली है भाई होली है !






आया बसंत अब  बरसेगा रंग,
तौहार ये प्यार मे रंग बरसेगा,
पिचकारी से किल्कारी बरसेगा, 
मान, अभिमान, घाओ माफ़, 
प्यार बरसेगा बादल बरसेगा I

राधा देवी यह पल को तरसे,
मीरा चुप चुप रोए और हँसे,
गोपी दीवाने किशन गुण गए, 
भक्त खेले होली हरी के बोल जमाए ,
नगाड़ा बजाए परमानन्द को पाए I

रचना : प्रशांत

Friday 18 March 2016

इस्तीफा से पहले!




खुद तू चाहे, नये नगरीमे आ बस पाए ,
अलग क़ानून के दायरे, जी फिर जाए ,
सुकून तू पाए, सुकून खरीद तू पाए , 
ज़िंदगी तू तलाशे , और ज़िंदगी तुझे पाए , 
फिर क्यू यह उलझन , जब वो दिन आए I 

नाव तू बदले, मंज़िल और करीब लाए,
फिर क्यू चेहरा दिखे, सोच ये गहरा,
आप से हारा, ना अपनो के दे सहारा,
दो शहर  मे बस्ती है तेरा, 
दो नाव का कश्ती है  तेरा I 

रचना : प्रशांत