Thursday, 22 December 2016

लव दस नंबरी!

शुरू  हो उस्ताद, एक फिर हो जाए.. 
दिले शौकीन, दिलदार मिल जाए..
कोई और प्यार तू छेड़े, और पाए..
पुराने प्यार. दूसरो मे पाए जताए 
खुदासे तू भीड़े, हासिल कुछ आए 
कितने और रोए, खो कर जीए ... 
बस तू गाए, एक और बदनामी जी जाए ..
शुरू हो जाना वो अंजाना सफ़र...
तेरा सफ़र वो प्यारा सफ़र
तुझे देख हर रांझा यह कहे..
आगे होगी ज़िंदगी और सुनहरे
हज़ारो ख्वाइस-ए-मुहब्बते तू बन.
आशिक़ो का शाहेंशाह तू बन... 
तेरे दरपे सब को हो कल्याण..
तू कहलाए प्रेमदेब, तू रहे महान...

रचना : प्रशांत 

शाम के पल...

शाम के पल, ना महके ना गुज़रे,
चाहे, मोहब्बत किस्मत  ना सँवारे,
मन की बात गले से ना उतरे,
जाम सजे, अंजान आप से रहे,
कितने थे रंग शाम साज़ ये गहरे,
दिलकश वो पहरे,
ना दिल ना ठहरे, ना ठहेरे,
पैमाने छलके, दे तुझे इशारे,
हसीनो की बाज़ार, हुस्न ही हारे I

चेहरे जगाए , यह चेहरे शराबी,
याद सताए, यादों का गुलामी,
इश्क़ के धागे , सपने फरेबी,
कतरा यह पानी, कतरा शबनमी,
कितने थे रंग शाम साज़ ये गहरे,
दिलकश वो पहरे,
ना दिल ना ठहरे, ना ठहेरे,
पैमाने छलके, दे तुझे इशारे,
हसीनो की बाज़ार, हुस्न ही हारे I

चेहरे जगाए , यह चेहरे शराबी,
याद सताए, यादों का गुलामी,
इश्क़ के धागे , सपने फरेबी,
कतरा यह पानी, कतरा शबनमीI

रचना : प्रशांत 

Thursday, 8 December 2016

कहने दे आज मुझे!

कहने दे आज मुझे,
जाने से, यादों मे तू  ज़िंदा,
आने से, साँस रुक से जाए,
यादों से, ये जान आज भी फिदा ...

ना खबर, तुझे है खबर तो बता , 
क्या ठिकाने, यह सफ़र का पता,
होश आए बार बार, जग को क्या पता ,
उस नज़रसे लापता, इस नज़र की पता ई

रचना : प्रशांत 

हाले दिल तुम्ही को कैसे सुनाउ?

हाले दिल तुम्ही को कैसे सुनाउ?
नज़र जो आउ, नज़र ना आउ..,
हाले दिल तुम्ही को कैसे बताउ?
बाते बनाउ , बात छुपाउ,
हाले दिल तुम्ही को कैसे बताउ?
नींद जगाउ, नींद ना पाऊ,
हाले दिल तुम्ही को कैसे बताउ,
दिलको हारूं, दिलको चाहूं,
हाले दिल तुम्ही को कैसे बताउ? 

रचना : प्रशांत