शुरू हो उस्ताद, एक फिर हो जाए..
दिले शौकीन, दिलदार मिल जाए..
कोई और प्यार तू छेड़े, और पाए..
पुराने प्यार. दूसरो मे पाए जताए
खुदासे तू भीड़े, हासिल कुछ आए
कितने और रोए, खो कर जीए ...
बस तू गाए, एक और बदनामी जी जाए ..
शुरू हो जाना वो अंजाना सफ़र...
तेरा सफ़र वो प्यारा सफ़र
तुझे देख हर रांझा यह कहे..
आगे होगी ज़िंदगी और सुनहरे
हज़ारो ख्वाइस-ए-मुहब्बते तू बन.
आशिक़ो का शाहेंशाह तू बन...
तेरे दरपे सब को हो कल्याण..
तू कहलाए प्रेमदेब, तू रहे महान...
रचना : प्रशांत