Friday 19 December 2014

कितनी सुन्दर यह धरती!





चित्र  साभार : http://www.freeallimages.com/wp-content/uploads/2014/09/beautiful-nature-spring-3.jpg

बहती धारा महकते फूल,
उड़ते पन्छी बावरे धूल,
चमकते सितारे नाचते लहर,
दिन के धूप, रात का प्रहर,
सब में है बसा तेरा स्वरूप 
कितनी  सुन्दर यह धरती अनूप।

कैसे स्तुति करूँ जग के नाथ,
शब्द नहीं है पर्याप्त ,
बसो मेरे साँसों में इस तरह,
कि जो भी बोलुँ बन जाए प्रार्थना ,
जो भी करूँ बन जाए अाराधना,
जो मैं सोचूँ हो जाए मानस पूजन,
ऐसा प्रेम भर दो कि तुम में रहूँ सदा मगन ।।

रचना: मीरा पाणिग्रही
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