आया बसंत अब बरसेगा रंग,
तौहार ये प्यार मे रंग बरसेगा,
पिचकारी से किल्कारी बरसेगा,
मान, अभिमान, घाओ माफ़,
प्यार बरसेगा बादल बरसेगा I
राधा देवी यह पल को तरसे,
मीरा चुप चुप रोए और हँसे,
गोपी दीवाने किशन गुण गए,
भक्त खेले होली हरी के बोल जमाए ,
नगाड़ा बजाए परमानन्द को पाए I
रचना : प्रशांत
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