कभी शब्दोसे नशा यू झलक जाए,
यादों का महफ़िल ताज़ा खुल जाए,
नशे रंग सजदा काएनत नज़र आए,
ना बदला वो दुनिया फिर दिख जाए,
नशे तोलने, मन को बहलाए,
जिंदा सबकुछ तुझ मे,
ये बार बार नज़र आए .
रचना: प्रशांत
यादों का महफ़िल ताज़ा खुल जाए,
नशे रंग सजदा काएनत नज़र आए,
ना बदला वो दुनिया फिर दिख जाए,
नशे तोलने, मन को बहलाए,
जिंदा सबकुछ तुझ मे,
ये बार बार नज़र आए .
रचना: प्रशांत