आज उनका खत मिला,
खुशी कुछ कम,
ग़म कुछ और मिला I
जो कहते थे की बस्ते हो,
तुम मेरी आँखों में ,
वो लिखते हैं के,
अब जाँचता है कोई और ,
उनकी आहों में I
शकल तो थी भोली उनकी,
पर आज उनके लफ़्ज़ों में,
छिपा खंज़र मेरे ज़िगर,
के आर पार मिला I
वो चाहते हैं राहें करना जुदा,
और मुझे आज भी उनके गेसू,
की खुश्बू का एक टुकड़ा,
मेरे सिने से लिपटा मिला I
काश की एक ख़त,
वो ऐसा लिख पाते ,
जिसमें अपनी धड़कनो का ठिकाना ,
हमारा दिल बताते,
तो हम भी इस उलफत के इम्तिहान ,
में अव्वल आते I
अब तो बस ये दुआ करते हैं,
की ऐ ख़ुदा जो वो चाहें उन्हे मिल जाए,
और उनका जो खो गया हैं हमारे पास,
हम उनमें मिल जायें...सदा के लिएI
रचना: प्रशांत
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