शरीक हो, ये समझ इशारों मे थी ,
क्या बताए कैसे बताए ,
ये मुहब्बत हमने कैसे निभाई,
कहानी कुछ और, बताई शीशे ने,
भाग आए फिर कश्ती सजाने I
देखा तो महफ़िल कुछ बदला सा मिला,
नये आशिकों से घिरा हुआ सा मिला,
लगा हम बहुत कुछ बदल से गये हैं,
ऊम्र को ताबीज़ की ज़रूरत आ गयी है I
तलाश उन्हे किसी गुमशुदा का हो,
जो गुम हो, पर वजूद सितरो मे हो,
जिन्हे देख, उनकी सितारे चमकती रहे,
रोशनी ना दिखे, लेकिन नाम जूडी रहे I
उमीद लिए और सताए, यह हो ना सका,
खुदको दे बदल, दुनिया से बदल, हो ना सका ,
उठ के फिर चले, रूठ कर फिर जले,
टूट कर फिर चले, जल कर फिर चले,
फिर दूर जा चले, हस हस फिर चले I
रचना : प्रशांत
क्या बताए कैसे बताए ,
ये मुहब्बत हमने कैसे निभाई,
कहानी कुछ और, बताई शीशे ने,
भाग आए फिर कश्ती सजाने I
देखा तो महफ़िल कुछ बदला सा मिला,
नये आशिकों से घिरा हुआ सा मिला,
लगा हम बहुत कुछ बदल से गये हैं,
ऊम्र को ताबीज़ की ज़रूरत आ गयी है I
तलाश उन्हे किसी गुमशुदा का हो,
जो गुम हो, पर वजूद सितरो मे हो,
जिन्हे देख, उनकी सितारे चमकती रहे,
रोशनी ना दिखे, लेकिन नाम जूडी रहे I
उमीद लिए और सताए, यह हो ना सका,
खुदको दे बदल, दुनिया से बदल, हो ना सका ,
उठ के फिर चले, रूठ कर फिर जले,
टूट कर फिर चले, जल कर फिर चले,
फिर दूर जा चले, हस हस फिर चले I
रचना : प्रशांत
तलाश उन्हे किसी गुमशुदा का हो,
ReplyDeleteजो गुम हो, पर वजूद सितरो मे हो,
जिन्हे देख, उनकी सितारे चमकती रहे,
रोशनी ना दिखे, लेकिन नाम जूडी रहे I
खूबसूरत पंक्तियाँ