चित्र साभार : http://7-themes.com/6960794-bottle-letter.html
एक शायर का खत जो आज मिला,
बड़े अदब से जो उसे खोला, तो ये पैगाम मिला,
कितने थे गम हरदम, जो उन्हे ले के चला
भर आया दिल , आंसूओ को पता भी ना चला I
काश हम समझ लेते, उन खतो से भला,
दिल की बात जो लिखे, जो बार बार मिला,
नासमझ थे जो न समझे, मुझे एक समझदार शायर मिला I
यूँ हर शायरी से ना लगा दिले सिलसिला,
वाह वाह की गूंज, बेपर्दे दफ़न क्यू मिला.
क्या वो था इंसान, या फ़रिश्ता,
यह उलझन आज है क्यूँ भला ,
जो कश्ती जाए डूब ,उसे किनारे से क्या भला I
मुझसे वो खत और पढ़ना, हो ना पाया ,
पुरानी ज़ख़्म हो ख़त्म, आवाज़ आम पाया,
कोई दे ज़ख़्म पे मरहम,वो महफूज़ महफ़िल ना पाया,
जब जो वो भी उनसे मिला,
तो वो खुश थे, की देर ही सही वो आन तो मिला ,
खाली था खत, ख़त्म करूँ कैसे भला,
लफ़्ज़ों की जगह रूह था बिखरा
और उनसे मिलने का एक अदद आसरा I
रचना : प्रशांत