चित्र साभार : www.popsugar.com
रहम दोस्तो रहम,
बदल जाओ,
यह कसम ना दो ,
सियाही और सुराही कर अलग,
ये कसम ना दो I
सियाही और सुराही है मेरी कमज़ोरी,
ये नाम ना दो,
साक़ी हो बदनाम ,
ऐसे इल्ज़ाम ना दो I
बदल जा,
राह कर जुदा, यह रूह ना माने,
खामोश पानीके रंग, रूहहि जाने
ये कसम, ये रसम, दिल ना माने
रूह की राह , ये प्याला ही जाने I
खुदा हे महज़ूद, ये खुदा भी जाने,
नेक बंदे से संगत, ये जाम भी जाने I
खामोश ये ख़तम, रंगमंच हम से हम उतरे,
पल पल की फकीर, पल के पल में बिखरेंI
उम्मीद की किरणे इनसे दिखे,
हसीन क़त्ल भी इनसे दिखे,
ज़ीने की आरज़ू बार बार दिखे,
आगाज़ आज़ादी भी इनसे दिखे I
आवाज़ दे कर देखो,
हाज़िर महफ़िल हम होंगे,
कुछ पल की शाहेंशाह होंगे ,
भले गुलाम आपके होंगे ई
रचना: प्रशांत
No comments:
Post a Comment