ना तलाक़ की बात हो सकी,
ना मिलने की दावात मिल सकी,
आज़ाद हम अलग अलग चले,
रिश्ते मे बँधे रिश्ते से जुदा हम चले I
अब अलग हुए, अब आज़ाद हुए,
ना आपके हुए, ना अपनो के हुए,
फरेबी का नक़ाब, दुनिया का दस्तूर,
दुनिया के लिए, दुनिया के हुए I
रचना :प्रशांत
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