चाँद को क्या मालूम चाहते हैं उसे कई धरती वाले
दूर रहकर मगन अपनी किसी ख़यालों में
भूल चला चाहनेवालों को
किसी जाने अनजाने महबूब की खोज में I
ए चाँद
एक नज़र इधर भी
हम भी हैं आशिक़ तेरे दीदार के प्यासे
कुछ बातें हम से भी किया करो
महफ़िल हमसे भी सजाया करो।
रचना : मीरा पाणिग्रही
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