Sunday, 29 January 2017

यह धोका हसीन है

यह धोका हसीन है
तक़दीर का खेल , बदलने से रहा,
वक़्त बीत गया, तस्वीर ना बदल पाया,
उम्मीद  के बारिश ना रोके, आजभी चाहे,
ना हम बदल पाए, ना वो बदलना चाहे ..
कौन है धोके मे, ये सवाल क्यू आए
नशेमन बह जाए  चैन दे जाए,
ये सोचे, फिर इतिहास दोहराए,
मे लौट जाऊं , और आप मान जाए......

रचना : प्रशांत    

Thursday, 26 January 2017

कुछ पल बस तू यूँ गुज़ार दे,



कुछ पल बस तू यूँ  गुज़ार दे,
गम तोल दे, यह किस्मत पे छोड़ दे,
हुआ यह क्या हिसाब अब ना कर,
दो पल उधार दे, साथ दे, हाथ दे ,
यह भी हैं ज़िंदा , इनका भी का साथ दे.....

भले पहचान से परे, मंज़िल से हारे,
कितने हैं यहाँ, जी जाते हैं यहाँ,
जहाँ के खोज, जहाँ से जुदा,
पर मुस्कुराते  तेरे राहों मे सदा...

एक पल यूँ  गुज़ार दे,
एक पल उनको भी दे,
एक पल तू जहाँ देख,
एक पल तू जहाँ से सीख,
अपने हिसाब से तोड़ तू निकाह,
यह हिसाब खुदा को भी दिखा.

पनाह दे और ले तू पनाह,
यह भी है अपने,  हिसाब अपनोमे बना....

रचना : प्रशांत  

Sunday, 15 January 2017

काश ज़िंदगी इनसे जुड़ जाए

एक सवाल दिल आज बोल पड़े, 
ज़िंदगी यह तू क्या जाने भला ??
पहचान लिए तू जिस दुनिया से जुड़ा
तेरी दुनिया क्या वो था भला????

बोल ना पाए, आँख भर आए
सुकून नज़राना नज़ारे दे जाए
मा और मिटी, एक ही गोद
एहसास यह लिखे, बोल ये जाए
दो फसल धरती के
क्यूँ ना संग गाए , जी जाए....

रचना: प्रशांत     

यूँ मुँह ना मोड़ किसी से

यूँ मुँह ना मोड़ किसी से,
कुछ एहसास आज ये हैं,
सब जायज़ हर रिश्ते मे है,
जिनसे था शिकवा गिला,
कुछ ग़लत हम थे भला,
ज़िंदगी का यह फलसफा, यह सिलसिला,
कुछ धोके से मिला, कुछ प्यार से मिला,
वो चले अपने राहो मे यारो,
हर ठोकर से निखरे हम यारो,
दोष हज़ार हमसे हुई यारो,
कुछ साथ दे चले, दूरियाँ हमसे हुई यारो ,
एहसास ये आज सताए, क्यू ना निभाए ,
आजभी जिंदगी आपसे, आज ये कैसे बताए I

रचना: प्रशांत