यह धोका हसीन है
तक़दीर का खेल , बदलने से रहा,
वक़्त बीत गया, तस्वीर ना बदल पाया,
उम्मीद के बारिश ना रोके, आजभी चाहे,
ना हम बदल पाए, ना वो बदलना चाहे ..
कौन है धोके मे, ये सवाल क्यू आए
नशेमन बह जाए चैन दे जाए,
ये सोचे, फिर इतिहास दोहराए,
मे लौट जाऊं , और आप मान जाए......
रचना : प्रशांत
तक़दीर का खेल , बदलने से रहा,
वक़्त बीत गया, तस्वीर ना बदल पाया,
उम्मीद के बारिश ना रोके, आजभी चाहे,
ना हम बदल पाए, ना वो बदलना चाहे ..
कौन है धोके मे, ये सवाल क्यू आए
नशेमन बह जाए चैन दे जाए,
ये सोचे, फिर इतिहास दोहराए,
मे लौट जाऊं , और आप मान जाए......
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