यह पहचान की रिश्ते कब तक यारों
जो तुमसे पुराने हो भी जाए यारों
और भी ख्वाईशे दस्तक दे याद आए
दर्पण मे दिखे, गुम वोही रह जाए I
अब जी लो, अपने बाकी तेरे और भी पहचान,
मासूमियत वो पहचान, इंसानी वो पहचान,
आजमा ले जीतने बाकी रूह की ग़ज़ल,
लहराने दे बह जाने दे, महफिले माहौल,
ख़तम हो जिनमे जंग और उलझन,
नफ़रत जाए दफ़न, सॉफ दिखे दर्पण I
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