क़ैद किसी और दुनिया मे तू भी,
बना ले दुनिया जी कर रिश्ते तू भी,
हर पहचान तेरी तुझे लगे चेहरेेे अपने,
निभाले रिस्ते वो जाने या रहे अंजाने I
मन हो अगर आसमान भी छु ले,
मन की मान और मन बना ले,
दायरे मे रिश्ते, अंजान निकल तू प्यारे,
सुकून हो राहे , जि अलग बाकी सारे I
रचना: प्रशांत
मन हो अगर आसमान भी छू ले ...बेहद सुंदर ।
ReplyDeleteआभार मधुलिका जी
ReplyDeleteप्रशांत