आज देखा,
शुरू हुआ एक सिलसिलाा,
एक चूहा बड़ा मस्त मिला ,
मौला था वो ,
बोला मौला से मिला I
कुछ बात,
इन जाम मे है जनाब
चोर हैं हम,
मुहब्बत मे जनाब,
दे पनाह,
राहेरात कर दे रोशन ,
दे पनाह,
मेरे सुबह कर दे रोशन I
बोला उस्ताद,
ना करे हम से गीला,
मौला हू मैं भी
आज मौला से मिला I
राज़ इनसे ताज़ इनसे,
और ये खुदा का खुदा,
इनके दामन, छोड़ ना सके ,
इनसे सीखा,
हम आपसे फिदा I
ये सुन
एक मुस्कान नज़रे दीदार हुआ ,
आशियाना जो महखाना हुआ,
भाई शेर था चूहा, फिर बोला,
बड़ी आरमान था उस्ताद ,
आज बना रिश्तों से रिश्ता,
और जुड़ा आप से रिश्ता I
रचना : प्रशांत
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