"दोस्ती पानी पे लिखी इबारत नहीं
आसमान में घुलती सियाही नहीं
ये तो दिल पे लिखी
एहसास की मासूम इबादत है I"
यार तेरे क़र्ज़ का यह सफ़र,
यह ज़िंदगी तुझपे फिदा,
तुझसे ही ज़िंदा, आज मैं ज़िंदा,
आवाज़ तू सून, दे मुझे आवाज़,
आजमा ले वो इतिहास ,
एहसास आज करले ज़िंदा I
ज़िंदा हू तेरे खातिर,
नज़र आए, कभी नज़रों से दूर,
गुज़रे जो पल, हमारे वो कल,
एहसास आज भी है ताज़ा
बचपन वो जवानी, आज भी है ताज़ा I
रचना : प्रशांत
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