कुछ तो है बात,
इन जाम मे यारों,
जो हम तेरे हुए,
खुद संभाल ना पाए,
पर समझ तुमको आए ..
.
रंग नशे का यह नही,
यह दिल का हे यारों,
क्या गम पराया हुए,
कुदरत का पैगाम यारों I
जीतने हो ख़तम ये जाम,
हसीन सा भर दे जखम ,
यह इल्ज़ाम किस लिए,
खाली महसूस जिंदगी यारों ,
ज़ख़्म और होजाए गहरा ,
निभाने या मिटाने से यारों I
रचना : प्रशांत
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