Thursday, 30 August 2018

यह दौड़ है ज़िंदगी का...

यह दौड़ है ज़िंदगी का,
थमने का नाम न ले पल भर का,
चाहे कितने भी आगे जाओ,
कुछ आगे फिर भी बाकी रह जाए I

क्या हासिल किया,
हिसाब इसका ख़त्म ना हो जनाब,
मज़दूर अपने रफ़्तार का,
और तेज़ भागे जनाब I

बस एक आदत है,
भागने और बस भागने की,
खोज में दूर के कोहिनूर की,
बस आदत से भागें हम,
भागें बस खुद से भागें हम I

ना आराम दें खुदको,
ना सवाल करें खुद से,
ना अपने को गले लगाएँ I

बस समय से भागें,
कभी समय के आगे,
कभी समय के पीछे,
कभी दो पल ना रुकें,
कभी अपनो से समय न माँगें I
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रचना: प्रशांत

Friday, 24 August 2018

The face of mirror

Was it my shadow or me
I stumbled upon
Ooh mirror you witnessed
That I fail to face
Though eyes opened
I see them always fresh
Once or more in a day
And years lost in the way...
Now something that I hear
That you never say never
Past is stacked and combed
Way to Office or Home to bed

Your path is forgotten
Or forbidden for fear
Never begged for Moksha
When you stand facing me
Lifeless wealth or health
Deceived you to count on me.....


By: Prashant

Tuesday, 17 April 2018

खबर मे राजनीति...

सत्ता तू कितना सच है
सांसद जमानत पे चले है
विपक्ष मे तू सच तोलदे
बाज़ी आए तो कीमत लादे..
राजनीति अब जनता भी खेले
इंसाफ़ माँगे और इंसाफ़ से डरे
अपना और एक देश बनाए
छीने वो, रोज़गार भी माँगे..
आईने मे उसे ऊम्र ना दिखे
नकल वो करे , अकल ना दिखे
नज़रबंद, वकालत वो करे
इतिहास ना पढ़े, नाज़ भी करे...

रचना : प्रशांत

लव फोर जॉब...

जबतक पसंद मे है
कदम रुक वहीं जाए,
दिल थम जाए
जब इरादे वो बदल दे
ठिकाने का खोज शुरू हो जाए...
मंज़िल बदल ने के ताक़त
है और नही भी
इश्क़ तुझे दुआ दे
मंज़िल हासिल हो
घायल यह दिल , दूर भागे
मंज़िल को तरसे,
मंज़िल साथ ले आए ....

रचना : प्रशांत

राह ना छोड़ ...




वक़्त बदलने वाला है,
ताज़ बदल जाएगा, 

आज नही तो कल,
खुदा से उपर जिसको तू माने,
खुदा की नज़र हट जाएगा...
मालिक का राह न छोड़
वक़्त बाज़ी ले ना पाएगा
परवाह ना कर घावों का
ताज़ा खून बह जाएगा....
अपना ले ज़िंदगी, रूह की पुकार,
बदलता वक़्त, अपना नशा दे जाएगा,
हर पल ज़िंदा, ए-वक़्त तुझसे जी जीएगा ..
राह ना छोड़, ना कफ़न दे ज़मीर को
तेरे भरोसे खुदा भी रहेगा
इंतेज़ार खुदा को भी रहेगा....

रचना : प्रशांत

Tuesday, 10 April 2018

काफिला निकल पड़ा है



काफिला निकल पड़ा है,

तेरी जय जयकार हर दिशा,

इतिहास जो बदल ना पाया,

बदल दे तेरे इश्क़ का नशाI

नीरव. माल्या, फ़ोर्ब्स लिस्ट

बदल दिए ,

2G ना दिखे  ना दिखे की NPA है 4G,

 धोके से बॅंक पहचान छुपाए,

एक्सचेंज बाज़ार यह सब जायज़ है,

कीमत बताए तो कीमत लग जाए I



रचना : प्रशांत

Sunday, 8 April 2018

Slaves to Party




They are the Kings

 Crores to Print, 

Crores to Build, 

Past Kings never did their own loot,

Judges Argue and Pen You Good…

By: Prashant

क़लम की धार ...



क़लम की धार और अन्ना की पुकार 
सुनाई ना दे, भीड़ है बाहर I

कृषक रोए, पेर खेत ना छोड़े, 
मेहनत जाए, मुआवज़ा ना आए I

कृषि इनकम कोई करोड़ बताए ,
टॅक्स में छूट और फार्म हाउस बताए I

रचना: प्रशांत  

GDP : Turn it Green





 You look fine on papers 

Debates, seminars love to dwell 

Model of Growth feels for you 

Weigh thy perks , they vie for you...

 Sustainability , all they answer

 Ecology & Economy move separate 

One in dark & one in spark

 Methods not questioned 

Shareholders are happy and glow... 

Seeds money value to all 

That added for nation of Buyers 

Those lost are never cared

 Seeds of success is in your  wombs 

Consumers to borne , dates to come…

O! Engineers, how much roads

 And where they connect to Mountains vanish, search is on

O! Builders of new cities

How much trees you planted

 To claim your values in your bill 

Water parks for fun and frill..

Schools' claims are not questioned 

Moral values in towering fees

 Cities devour all in sight 

Double the kill and sky the bill...

 Leaders of Nations,

 Corporate Dons 

What value added to mother earth 

Plundered for some dollar worth

Please let HER grow and restores None endangered , Greens abound...

By Prashant

Clap, Clap, Clap...



Clap, Clap, Clap


We share your glory


Emojis rocket them high


Thala is born to reborn


Innings of high insecurity


Prized for its beauty..


Clap, Clap, Clap


Put stars to your cap


Ends matter more


Azan is louder,


Bells rang Messages clutter and more


Sycophants juggle to worship


Sultan is back from his Court…


Clap, Clap, Clap


A new religion is borne


Shiva is two now


A province has his flag To flutter high and higher


Dalits we are all


Unite to unite them for all.....


By: Prashant