सत्ता तू कितना सच है
सांसद जमानत पे चले है
विपक्ष मे तू सच तोलदे
बाज़ी आए तो कीमत लादे..
राजनीति अब जनता भी खेले
इंसाफ़ माँगे और इंसाफ़ से डरे
अपना और एक देश बनाए
छीने वो, रोज़गार भी माँगे..
आईने मे उसे ऊम्र ना दिखे
नकल वो करे , अकल ना दिखे
नज़रबंद, वकालत वो करे
इतिहास ना पढ़े, नाज़ भी करे...
रचना : प्रशांत
सांसद जमानत पे चले है
विपक्ष मे तू सच तोलदे
बाज़ी आए तो कीमत लादे..
राजनीति अब जनता भी खेले
इंसाफ़ माँगे और इंसाफ़ से डरे
अपना और एक देश बनाए
छीने वो, रोज़गार भी माँगे..
आईने मे उसे ऊम्र ना दिखे
नकल वो करे , अकल ना दिखे
नज़रबंद, वकालत वो करे
इतिहास ना पढ़े, नाज़ भी करे...
रचना : प्रशांत
way of thought....most interesting
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