जबतक पसंद मे है
कदम रुक वहीं जाए,
दिल थम जाए
जब इरादे वो बदल दे
ठिकाने का खोज शुरू हो जाए...
मंज़िल बदल ने के ताक़त
है और नही भी
इश्क़ तुझे दुआ दे
मंज़िल हासिल हो
घायल यह दिल , दूर भागे
मंज़िल को तरसे,
मंज़िल साथ ले आए ....
रचना : प्रशांत
कदम रुक वहीं जाए,
दिल थम जाए
जब इरादे वो बदल दे
ठिकाने का खोज शुरू हो जाए...
मंज़िल बदल ने के ताक़त
है और नही भी
इश्क़ तुझे दुआ दे
मंज़िल हासिल हो
घायल यह दिल , दूर भागे
मंज़िल को तरसे,
मंज़िल साथ ले आए ....
रचना : प्रशांत
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