Saturday 18 April 2015

गम न कर ...

ना गम कर उन पलों के लिए, 
जो ग़ुम  हुए जा रही है,
जश्न मन उन लम्हों का,
जो आज भी तेरे साथ, 
धड़क रही है तेरे सीने में,
हिसाब रख उन घड़ियों का, 
जो हर पल है ज़िंदा, 
तेरे  सांसों में और उसके एहसासों में I    

रचना: प्रशांत 

No comments:

Post a Comment