इतनी मुहब्बत नसीब होगी हमें,
यह ना था पता,
ख़ुशी के सागारमे गम डूब जाएगा,
यह ना था पता,
शुक्रिया आपको जो मुझे समझे,
आम इंसान को काबिल तो समझे I
खुदा से हम और क्या मांगें,
बस इतनी दुआ मांगें,
आप को इतनी बरकत हो,
के धरती आपसे हारा भरा हो,
कुछ इसके काम आप आए,
कुछ आप के काम हम आए I
रचना : प्रशांत
* यह रचना जन्मदिन के अवसर में मिली बधाइयों को समर्पित है I
"इसके काम आप आए,
ReplyDeleteआप के काम हम आए"