हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
होता है चलना ये पैदल I
हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
गिरना हीं बनाता है,
कहीं पहुँचने को सफल I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
धरती भी होती है माँ,
और कैसे चंदा है चंदा मामा I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
कोरे कागज पे लकीरें,
लेती हैं सांसें और बनाती हैं,
तकदीरें जो हो अटल I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
सपनों में होती है ताक़त,
की कैसे आफत भी देते हैं हिम्मत I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
बनना हैं रण का अर्जुन,
की कैसे करना हैं मोहन का सृजन ,
की हंसना हैं जैसे हंसा था वो गौतम ,
की हराना हैं जैसे हारा था वो रावण I
रचना : प्रशांत
पहले पहल की कैसे,
होता है चलना ये पैदल I
हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
गिरना हीं बनाता है,
कहीं पहुँचने को सफल I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
धरती भी होती है माँ,
और कैसे चंदा है चंदा मामा I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
कोरे कागज पे लकीरें,
लेती हैं सांसें और बनाती हैं,
तकदीरें जो हो अटल I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
सपनों में होती है ताक़त,
की कैसे आफत भी देते हैं हिम्मत I
हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
बनना हैं रण का अर्जुन,
की कैसे करना हैं मोहन का सृजन ,
की हंसना हैं जैसे हंसा था वो गौतम ,
की हराना हैं जैसे हारा था वो रावण I
रचना : प्रशांत
They teach us everything - from walking to talking, and how to be a good human being. Beautiful poem.
ReplyDeleteThanks Saru for your visit and comment.
ReplyDeletePrashant, Excellent poem. It seems , My Mom is the same version of your Mom.
ReplyDeleteThanks Sujata for your wonderful comment.
ReplyDeletePerhaps all mothers of the world have the same software inbuilt in them.