Friday 2 October 2015

मदहोश दिल -ऐ-नादान...




मदहोश दिल -ऐ-नादान, आज क्यूँ छलके,
सितारों से दूर एक सितारा आज भी चमके, 
मेरे महबूब तेरी खातिर, तुझसे दूर सही,
लाश मे भी आस बाकी है, गैर सही I 

एक ख़याल ज़ो था प्यारा, वो ख़याल आज भी है,
उम्र की दरिया बीती सुखा बंजर, माझी आज भी है,
दरमिया मिट ना पाए , फिर भी प्यास आज भी है,
इस लाश कीं कीमत मे, वो ख़याल आज भी है I
रचना: प्रशांत 

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