तेरे शरण मे आया,
तेरा दर्शन पाया,
जी भर आया,
कुच्छ ना माँग पाया I
इतना सुकून आया,
दिल मे भी तू ही नज़र आया,
जी भर आया,
पर जी ना भर पाया I
फिर एक बार मिलें,
यह आदेश आया,
तुझे पा लिया.
पर तुझसे बिदा ना ले पाया,
तेरे शरण मे आया,
मिलने फिर चला आया I
रचना : प्रशांत
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