इतनी फिकर किस बात की,
जो होना हे तेरे बस मे कहाँ,
उम्र ना तेरा गुलाम,ना परछाई,
जब ये कायनात तुम्हे ना अपनाये
सलतनते अकबर कहाँ सुकून आए I
हिसाब कर,पल पल ना तोड़,
इनाम कमा ले, ईमान ना छोड़,
बेहिसाब पल पल तू जोड़,
खुशियाँ बिखेर, रिश्तों में बिखर,
खुद को मोड़, खुदा से जुड़ ई
रचना : प्रशांत
हिसाब कर,पल पल ना तोड़,
ReplyDeleteइनाम कमा ले, ईमान ना छोड़,
जिंदगी जिंदादिली का नाम है ! शानदार अभिव्यक्ति
धन्यवाद योगी सारस्वत जी!
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