Tuesday 13 October 2015

क्यू तू रूके उस मंज़िल पे...


चित्र साभार :www.wallpaperup.com

क्यू तू रूके उस मंज़िल पे,
जहाँ तेरा वज़ूद ना दिखे ,
कर बुलंद हौसले, निकल पड़,
एक नये दुनिया के खोज मे,  
एक नये पहचान के खोज मे I 

जा पहुँच उस मुकाम पर,
जिसे पा कर तुझे सुकून आए,
ज़िंदा कर हूनर, जो तेरेकाम आए,
अनमोल एहसास तेरे नसीब आए,
अपने समय को तू फिर,
एक नयी पहचान देता जाए I 

रचना : प्रशांत 

4 comments:

  1. जा पहुँच उस मुकाम पर,
    जिसे पा कर तुझे सुकून आए,
    ज़िंदा कर हूनर, जो तेरेकाम आए,
    अनमोल एहसास तेरे नसीब आए,
    अपने समय को तू फिर,
    एक नयी पहचान देता जाए I
    सरल , सुन्दर और प्रेरित करते शब्द !!

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद योगी सारस्वत जी !

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर रचना । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।

    ReplyDelete
  4. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद मधुलिका जी !

    ReplyDelete