चित्र साभार :http://www.roomsuggestion.com/Best-Destinations-for-Solo-Travellers-
मुसाफिर
है तू तेरा ठिकाना कहाँ ,
आज इधर कल जाएगा जाने कहाँ ,
जहाँ रुका तू समझ के मंज़िल ,
वहीँ एक आवाज़ फिर दी सुनाई,
मुसाफिर
तेरा ठिकाना कहाँ I
ये दुनिया है सारी तेरी ,
तू खोज इसे, तू अंजाना कहाँ,
उठ चल के मज़िल तो अभी दूर है,
अभी जिस्म में जान भी जरूर है,
चल समय के अंत तक,
की तुझ सा दीवाना कहाँ I
रचना :प्रशांत
मुसाफिर तेरा ठिकाना कहाँ?
ReplyDelete