मीठे बोल दो बोल दे
ओ कमाने वाले
इसकी कीमत कुछ भी नही
इससे हासिल क्या कुछ नही I
क्यू हिसाब हर पल तू करे
धन बेशुमार और निर्धनसे डरे
हर पल पैसे गिन गिन जाए
मन से तू ग़रीब , नज़र ना आए I
ये हिसाब तेरे किस काम आए
अलग हिसाब तेरे खाते मे आए
शमशान हो एक वोही जुड़ जाए
संसार त्यागी सब साथ ले जाए
भोगी के प्राण वोही लाश रह जाए I
रचना : प्रशांत
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