Wednesday 11 November 2015

मीठे बोल दो बोल दे ...

मीठे बोल दो बोल दे 
ओ कमाने वाले 
इसकी कीमत कुछ भी नही 
इससे हासिल क्या कुछ नही I 

क्यू हिसाब हर पल तू करे 
धन बेशुमार और निर्धनसे डरे 
हर पल पैसे गिन गिन जाए 
मन से तू ग़रीब , नज़र ना आए I 

ये हिसाब तेरे किस काम आए 
अलग हिसाब तेरे खाते मे आए 
शमशान हो एक वोही जुड़ जाए 
संसार त्यागी सब साथ ले जाए 
भोगी के प्राण वोही लाश रह जाए I

रचना : प्रशांत 

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