हमसफ़र आज कहने दो,
दोषी हैं हम , तारीफ़ कभी ना कर पाए,
आपसे मुहब्बत कभी बता ना पाए,
बाँहों में आपके, सुकून से हम खो जाए,
इशारे आप करें, हक़ ना जताएं,
मुस्कुराके , हर सितम झेल जाएँ,
दोष है मेरा, तारीफ़ ना कर पाए,
आपसे है मुहब्बत, जता भी ना पाए I
जाने तमन्ना हमे ये होश बार बार आए,
कोई रूठिसी मुहब्बत राह नज़र आए,
प्याले मे एक तस्वीर नज़र मिलाने चली आए,
जीतने करू ख़तम,उतने करीब आए I
क्या बताएं आपकी ये कशिश,
नशे और सुर मे उतर आए,
हम महफ़िल साथ ले आएं,
नशेमन दिल का ये गुलाम,
हाज़िर है, आप सलाम ले जाए...
मुस्कुराके , हर सितम झेल जाएँ,
दोष है मेरा, तारीफ़ ना कर पाए,
आपसे है मुहब्बत, जता भी ना पाए I
जाने तमन्ना हमे ये होश बार बार आए,
कोई रूठिसी मुहब्बत राह नज़र आए,
प्याले मे एक तस्वीर नज़र मिलाने चली आए,
जीतने करू ख़तम,उतने करीब आए I
क्या बताएं आपकी ये कशिश,
नशे और सुर मे उतर आए,
हम महफ़िल साथ ले आएं,
नशेमन दिल का ये गुलाम,
हाज़िर है, आप सलाम ले जाए...
रचना : प्रशांत
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