चित्र साभार: http://www.springbokhouston.com/events/2014/12/31/new-years-eve-masquerade
एक परदा खामोशी की ओढ़,
क्यूं चले आते हो बेपर्दा,
सिसकियाँ सुन लेता है जमाना,
आज भी वो दीवानो की दीवाना I
जग ढूंढे तुम्हे यहाँ वहाँ,
जाने कहाँ कहाँ जहाँ तहाँ,
मुझे जीने दे अंजान, घने बादल मे ,
हमआरज़ू के बाहों मे I
रिश्ते ना कर तू ज़िंदा,
तस्वीर की तक़दीर खोज मे I
रचना : प्रशांत
जग ढूंढे तुम्हे यहाँ वहाँ,
ReplyDeleteजाने कहाँ कहाँ जहाँ तहाँ,
मुझे जीने दे अंजान, घने बादल मे ,
हमआरज़ू के बाहों मे I
रिश्ते ना कर तू ज़िंदा,
तस्वीर की तक़दीर खोज मे I
स्वागत ! सुन्दर शब्दों का