बादल बरसे रिमझिम रिमझिम,
कोयलिया ये गीत सुनावे,
मन आँगन मे साज़ सजी है,
मन के वीणा झन झन गाये I
ताल ये तेरी चाल लगे है ,
मृग नयना गीत सुनावे ,
बाजे पायलिया बात सुनाये ,
मन मोरा आज बहकन जाए I
तेरी घूँघट मुझे और सताए ,
घुँगरू छम छम प्यास बढ़ाए ,
नैना कजरा मोहे और लुभाए ,
केश ये गहेरा रात बन जाए I
हे मनमोहिनी चंचला कामिनी ,
दास है तेरा यह मन बैरागी ,
सारे तपस्या तुझ से ही हारे ,
हारा यह जोगी, दास स्वीकारे I
ऋषि महर्षि जब हार से जीते ,
मैं मनजोगी मन से ही हरा,
काहे मन हाए समझ ना पाए,
मेनका मोह बिश्वामित्र सताए I
रचना : प्रशांत
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