मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान,
ऊंची इसकी क्या है शान I
मेरे देश में माकन, मेरे देश में दुकान ,
उस दुकान में है पान, जो मेरे देश की हैं जान,
मेरे देश में हैं लाल, जिनका मुँह मालामाल,
जब ये मरे पिचकारी, धरती दिखे ख़ूँख़ारी I
दिखे लाल का कमाल, चारो ओर मचे शोर,
लाली उसकी है ऐसी, जो लजाये खांटी भोर,
पर हम मतवाले, हम भाव से विभोर,
करें दिन रात बस एक ही शोर I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
भगवन ने दिया मुँह, दिया उसमे जुबान,
हमने कहा तूने दिया हमें पर अधूरा ही सम्मान,
जब तक न हम ठूंसे पान, कैसे बनें हम महान I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान ,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
राजा महाराजा ने सिखाया, पान से ही बढ़े सम्मान,
तो क्या हुआ हमने बनाया अपनी गलियों को ही पीकदान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान ,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
भारत की छवि गरिमा से भरपूर,
रहे इस धरती जाने कितने सन्यासी भरपूर,
पर ज्ञान की छवि हम करते हर दिन चूर चूर I
ज्ञान के सूरज पे मरते हम पिचकारी,
खैनी,गुटखा को बनाते हम हत्यारी I
पर हम करें यही गुणगान
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
मेरा फव्वारा, मेरा प्यारा,
कहीं भी ,कभी भी खोलें हम अपनी टोटी,
और उड़ा दें स्वछता की हम बोटी बोटी ,
पर फिर भी , हम करें न टाइम खोटी,
जब खुला मुँह, बस यही नारा करे मेरा उत्थान I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
हमारी सुगंध से है लड़ाई,
दुर्गन्ध से सगाई ,
अपनी नदियों की हम करते ,
अपने कूड़ों से रोज ही गोद भराई,
जब होवे चारो ओर सड़न महान,
फीकी पड़े इसके आगे अत्र की दूकान I
पर सबसे बड़ा है मेरा स्वाभिनमान,
छूटते ही निकले मुँह से,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
हमने खाई है कसम, तुझे छोड़ेंगे नहीं हम,
दुल्हन जैसे करेंगे तेरा श्रृंगार
तो क्या हुआ अगर तू है सिर्फ दीवार.I
तू हमें बड़ी प्यारी,
तुझसे है मेरी यारी,
तुझे कभी होने नहीं दूंगा अकाल की मारी,
करूंगा तुझे हरदम गीला जैसे करें कोई स्वान I
तेरा यही स्नान ,
मेरा यही महादान ,
पुण्य मिले मुझे इसका
देना ज़रूर ऐसा वरदान I
तूने अबतक हमें पहुँचाया,
अब तुझे पहुचाएंगे ,
सड़क है नाम तेरा पर ,
अब सड़न हम बनाएंगे I
तेरी बगलिओं में एक नरक हम बसाएंगे ,
अभी तक तू थी धरती पे ,
तुझे पाताल का सुख हम कराएँगे ,
तेरी गलियों में नालियों को हम बसाएंगे ,
डेंगू, मलेरिआ को रोज़ हम भोज पे बुलाएँगे I
मिटटी के ऊपर तुम्हे है बनाया हमने,
फिर से तुम्हे मिटटी में मिलाएंगे ,
तेरी शान का कमाल हम ऐसे ही बढ़ाएंगे I
तूने अबतक हमें पहुँचाया,
अब तुझे पहुचाएंगे,
सड़क है नाम तेरा पर ,
अब सड़न हम बनाएंगे I
और फिर भी यही गाएंगे ,
की
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
रचना : प्रशांत
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान,
ऊंची इसकी क्या है शान I
मेरे देश में माकन, मेरे देश में दुकान ,
उस दुकान में है पान, जो मेरे देश की हैं जान,
मेरे देश में हैं लाल, जिनका मुँह मालामाल,
जब ये मरे पिचकारी, धरती दिखे ख़ूँख़ारी I
दिखे लाल का कमाल, चारो ओर मचे शोर,
लाली उसकी है ऐसी, जो लजाये खांटी भोर,
पर हम मतवाले, हम भाव से विभोर,
करें दिन रात बस एक ही शोर I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
भगवन ने दिया मुँह, दिया उसमे जुबान,
हमने कहा तूने दिया हमें पर अधूरा ही सम्मान,
जब तक न हम ठूंसे पान, कैसे बनें हम महान I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान ,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
राजा महाराजा ने सिखाया, पान से ही बढ़े सम्मान,
तो क्या हुआ हमने बनाया अपनी गलियों को ही पीकदान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान ,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
भारत की छवि गरिमा से भरपूर,
रहे इस धरती जाने कितने सन्यासी भरपूर,
पर ज्ञान की छवि हम करते हर दिन चूर चूर I
ज्ञान के सूरज पे मरते हम पिचकारी,
खैनी,गुटखा को बनाते हम हत्यारी I
पर हम करें यही गुणगान
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
मेरा फव्वारा, मेरा प्यारा,
कहीं भी ,कभी भी खोलें हम अपनी टोटी,
और उड़ा दें स्वछता की हम बोटी बोटी ,
पर फिर भी , हम करें न टाइम खोटी,
जब खुला मुँह, बस यही नारा करे मेरा उत्थान I
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
हमारी सुगंध से है लड़ाई,
दुर्गन्ध से सगाई ,
अपनी नदियों की हम करते ,
अपने कूड़ों से रोज ही गोद भराई,
जब होवे चारो ओर सड़न महान,
फीकी पड़े इसके आगे अत्र की दूकान I
पर सबसे बड़ा है मेरा स्वाभिनमान,
छूटते ही निकले मुँह से,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
हमने खाई है कसम, तुझे छोड़ेंगे नहीं हम,
दुल्हन जैसे करेंगे तेरा श्रृंगार
तो क्या हुआ अगर तू है सिर्फ दीवार.I
तू हमें बड़ी प्यारी,
तुझसे है मेरी यारी,
तुझे कभी होने नहीं दूंगा अकाल की मारी,
करूंगा तुझे हरदम गीला जैसे करें कोई स्वान I
तेरा यही स्नान ,
मेरा यही महादान ,
पुण्य मिले मुझे इसका
देना ज़रूर ऐसा वरदान I
तूने अबतक हमें पहुँचाया,
अब तुझे पहुचाएंगे ,
सड़क है नाम तेरा पर ,
अब सड़न हम बनाएंगे I
तेरी बगलिओं में एक नरक हम बसाएंगे ,
अभी तक तू थी धरती पे ,
तुझे पाताल का सुख हम कराएँगे ,
तेरी गलियों में नालियों को हम बसाएंगे ,
डेंगू, मलेरिआ को रोज़ हम भोज पे बुलाएँगे I
मिटटी के ऊपर तुम्हे है बनाया हमने,
फिर से तुम्हे मिटटी में मिलाएंगे ,
तेरी शान का कमाल हम ऐसे ही बढ़ाएंगे I
तूने अबतक हमें पहुँचाया,
अब तुझे पहुचाएंगे,
सड़क है नाम तेरा पर ,
अब सड़न हम बनाएंगे I
और फिर भी यही गाएंगे ,
की
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा प्यारा हिंदुस्तान,
मेरा देश है महान ,
ऊंची इसकी क्या है शान I
रचना : प्रशांत
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