चित्र साभार : http://www.happyholi2015.org/2015/02/happy-holi-2015-images.html |
क्या होली थी, कुछ याद है,
और कुछ याद नहीं ,
कभी हम करते थे शोर की सवारी ,
कभी सुनसान खामोशी थी हम पे भारी I
क्या होली थी क्या बोली थी ,
किससे रोए मिले, बिन कहे मिले ,
हँसी की गोली जहाँ तहाँ बिखरे ,
होश मे रहे , गिरे और ठहरे I
कुछ याद आए वो लस्सी की प्यास ,
स्प्राइट पे भारी वोदका की गिलास ,
माँग माँग खाए वो भांग के पकोडे ,
उड़ जाने के डर से टेबल को जकड़े I
जय जय शिव शंकर की भावना ,
बीच मे हनी सिंग का घुसना ,
कभी मन ही मन गुनगुनाना ,
गाने के बोल मे आक्टिंग कर जाना I
होली ने लौटा दी वो ही पुरानी महफ़िल ,
दोस्तों में वो ही प्यार और दरियादिली,
भगवान तुझे शत शत प्रणाम ,
होली के दिन रहे दुनिया हर दम रंगीली I
रचना : प्रशांत
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