चित्र साभार : http://pixabay.com/en/beauty-woman-flowered-hat-cap-355157/ |
ऐ जिंदगी तुझे मैं,
क्या और किस नाम लेकर पुकारूँ,
कभी तुझे मैं कोसूं ,
कभी तुझसे रूठ भी जाऊं,
तेरे करीब आ के तुझको न पाया,
जब खुद से तुझको दूर पाया,
तेरी परछाईं को खुद के और करीब पाया I
कितने रूप हैं तेरे,
तेरा तिलिस्म ले अंगड़ाई साँझ सवेरे,
तेरे चक्कर का मैं फक्कड़ ,
तुझे जी गया कई बार ,
मर मर कर I
रचना : प्रशांत
क्या और किस नाम लेकर पुकारूँ,
कभी तुझे मैं कोसूं ,
कभी तुझसे रूठ भी जाऊं,
तेरे करीब आ के तुझको न पाया,
जब खुद से तुझको दूर पाया,
तेरी परछाईं को खुद के और करीब पाया I
कितने रूप हैं तेरे,
तेरा तिलिस्म ले अंगड़ाई साँझ सवेरे,
तेरे चक्कर का मैं फक्कड़ ,
तुझे जी गया कई बार ,
मर मर कर I
रचना : प्रशांत
कितने रूप हैं तेरे,
ReplyDeleteतेरा तिलिस्म ले अंगड़ाई साँझ सवेरे,
तेरे चक्कर का मैं फक्कड़ ,
तुझे जी गया कई बार ,
मर मर कर I
प्रभावी अभिव्यक्ति प्रशांत जी
धन्यवाद योगी सारस्वत जी !
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