चित्र साभार : http://pixabay.com/en/fitness-jump-health-woman-girl-332278/
मंज़िल गर है हासिल, तो ऐसा लगता क्यूँ नही,
हर मुकाम है तेरे बस मे, तो ऐसा लगता क्यूँ नही I
इतना है खालीपन, फिर साँसे क्यूँ हैं भारी ?
खाली है ज़िंदगी, फिर क्यूँ नासमझ ज़िद है न्यारी ?
हर हासिल पे, तू क्यूँ मनाए ख़ुशी?
हर चोट पे क्यूँ कमाए बेबसी?
जब दुनिया से तुझे, मुँह मोड़ लेना है,
जब दुनिया को तुझे, छोड़ जाना है,
तो जी, के बस तू ही तू है इस दुनिया में
तो जी, के बस तुझसे हीं दम है इस दुनिया में I
रचना : प्रशांत
हर मुकाम है तेरे बस मे, तो ऐसा लगता क्यूँ नही I
इतना है खालीपन, फिर साँसे क्यूँ हैं भारी ?
खाली है ज़िंदगी, फिर क्यूँ नासमझ ज़िद है न्यारी ?
हर हासिल पे, तू क्यूँ मनाए ख़ुशी?
हर चोट पे क्यूँ कमाए बेबसी?
जब दुनिया से तुझे, मुँह मोड़ लेना है,
जब दुनिया को तुझे, छोड़ जाना है,
तो जी, के बस तू ही तू है इस दुनिया में
तो जी, के बस तुझसे हीं दम है इस दुनिया में I
रचना : प्रशांत
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